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प्रेग्नेंसी के दौरान कितना वजन बढ़ना है नार्मल

मुंबई – प्रेग्‍नेंसी की पहली तिमाही में पहले 12 हफ्ते प्रेग्‍नेंसी क पहली तिमाही कहलाते हैं। इस दौरान शरीर में कई शारीरिक और मानसिक बदलाव आते हैं और पहली तिमाही में महिलाओं का वजन भी बढ़ जाता है। हालांकि, ऐसा जरूरी नहीं है कि इस समय हर महिला का वजन बढ़े। पहली तिमाही में भूख कम लगने और मॉर्निंग सिकनेस की वजह से कुछ महिलाओं का वजन घट भी सकता है। अगर आप पहले से ही जान लें कि पहली तिमाही में कितना वजन बढ़ना चाहिए या इस समय हेल्‍दी वेट कितना होता है।

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प्रेग्नेंसी के दौरान गर्भवती महिला का वजन कितना तक बढ़ना सही रहता है(Weight Gain During Pregnancy) .इसके लिए पहली बार मां बन रही महिला हर भरसक प्रयास करती हैं कि उनका वजन ज्यादा ना बढ़े. जिसके लिए वह अपनी डायट पर कंटा्रेल लगाने लगती हैं साथ ही एक्सरसाइज पर ज्यादा ध्यान देने लगती है। ऐसे में क्या करना सही है और क्या नहीं इसकी जानकारी आपको जरूर रहनी चाहिए ताकि आपके और अंदर पल रहे शिशु का इसका कोई नुकसान ना हो। आइए जानते हैं कि एक गर्भवती महिला का प्रेग्नेंसी के दौरान कितना वजन बढ़ना सही है ताकि बच्चे के जन्म के बाद उन्हें किसी समस्या का सामना ना करना पड़े।

शिशु का वजन 3 से 3.5 किलो तक होता है। आपका प्रेग्‍नेंसी में जितना वजन बढ़ा है, उसमें 0.5 से 1.4 किलोग्राम फैट ब्रेस्‍ट पर बढ़ता है, गर्भाशय में 0.9 किलो, प्‍लेसेंटा पर 0.7 किलो, एम्निओटिक फ्लूइड पर 0.9 किलो, ब्‍लड वॉल्‍यूम में 1.4 से 1.8 किलो, फ्लूइड वॉल्‍यूम में 0.9 से 1.4, फैट स्‍टोर 2.7 से 3.6 किलो बढ़ता है।प्रेग्‍नेंसी में बहुत ज्‍यादा वजन बढ़ने की वजह से बेबी को स्‍वास्‍थ्‍स संबंधी समस्‍याएं बढ़ने का खतरा रहता है। बच्‍चे का जन्‍म के समय वजन सामान्‍य से अधिक हो सकता है और जन्‍म के समय भी कुछ कॉम्प्लिकेशन आ सकती हैं जैसे कि शोल्‍डर डिस्‍टोसिया या प्रीटर्म बर्थ।

अगर आपका प्रेग्‍नेंसी में बहुत ज्‍यादा वजन बढ़ गया है, तो इसकी वजह से आपको सांस लेने में दिक्‍कत, खर्राटे आने या स्‍लीप एप्निया, सीने में जलन, थकान, पसीना ज्‍यादा आना और जोड़ों और कमर में दर्द होता है। मोटापे के कारण हाई बीपी, हाई ब्‍लड शुगर और हाई कोलेस्‍ट्रॉल लेवल हो सकता है जिसका असर गर्भावस्‍था पर भी पड़ सकता है।अगर आप प्रेग्‍नेंसी में ज्‍यादा खाती हैं और शारीरिक ग‍तिविधियां कम करती हैं, तो आपका ज्‍यादा वजन बढ़ सकता है। डिप्रेशन रोधी या दौरे रोधी दवाएं और कुछ बीमारियों जैसे कि हाइपोथायराइडिज्‍म या पीसीओएस में भी मोटापा हो सकता है।

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