Sports

भारत की महिला पहलवान प्रिया मलिक,जिसने विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में जीता गोल्ड मैडल

नई दिल्ली – देश की बेटियां बदलते समय के साथ अपना देश का नाम रोशन कर रही हैं,वैसे ही हरियाणा के छोटे से गांव की प्रिया मलिक विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक (Gold Medal) जीतकर भारत का नाम रोशन किया है। प्रिया मलिक अब तक कई गोल्ड मैडल अपने नाम कर चुकी है। जिसमे प्रिया मलिक 2019 में पुणे में खेलो इंडिया में स्वर्ण पदक और उसी साल दिल्ली में 17वीं स्कूल गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था। 2020 में पटना में नेशनल कैडेट चैंपियनशिप में उन्होंने स्वर्ण पदक पर कब्ज़ा जमाया था।

First Ad 1111111

भारत की महिला पहलवान प्रिया मलिक को कुश्ती के दौरान उनकी बाईं आँख के ऊपर कट लगने की वजह से दो बार मुक़ाबला रोका गया फिर भी उन्होंने हंगरी (Hungary) के बुडापेस्ट में आयोजित वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में जर्मनी की लौरा कुहेन को 5-0 के निर्णायक स्कोर से हराकर अपनी शक्ति का प्रदर्शन किया। इस तरह उन्होंने 76 किलो वर्ग के स्वर्ण पर क़ब्ज़ा जमा लिया। साथ ही मलिक बताया की वह आने वाले समय में भारत को ओर भी मेडल दिलवाने वाली है। और भारत का नाम शान से बढ़ाएगी। पहली बार विश्व कुश्ती चैंपियनशिप के फाइनल में भारत की चार बेटिया अपना परचम लहराया। पहले अंतिम पंघाल स्वर्ण पदक जीतने में कामयाब रहीं थीं।

जाने प्रिया मलिक कुछ बाते :
हरियाणा के गाँवों में कुश्ती ख़ासी लोकप्रिय है। प्रिया मलिक हरियाणा के जींद जिले की निवासी हैं,वह चौधरी भरत सिंह मेमोरियल खेल स्कूल निडानी (CBSM Sports School Nidani) की स्टूडेंट हैं,प्रिया के पिता जयभगवान निडानी इंडियन आर्मी से हवलदार के पद से रिटायर हो चुके हैं,ऐसे तो वैसे तो पूरा घर पहलवानी से ताल्लुक़ रखता है। प्रिया को पहलवान बनाने में पिता जयभगवान निडानी के पिता बाबा पृथ्वी सिंह की अहम भूमिका है। प्रिया पढ़ाई में भी अच्छी थी इसलिए शुरुआत उनके पिता पिता जयभगवान निडानी चाहते थे कि वह पढ़ाई पर ही फ़ोकस करे और आगे बढे। लेकिन बाबा की इच्छा की वजह से वे पहलवानी में आ गई।

हरियाणा की अंशु ने कुश्ती में ख़ासा नाम कमाया है. उसे देखकर ही पृथ्वी सिंह चाहते थे कि प्रिया भी कुश्ती को अपनाएं। उसके प्रिया को पहलवान बनाने में भरपूर मेहनत की। पर प्रिया ने विश्व कैडेट कुश्ती चैंपियनशिप के 73 किग्रा वर्ग में भाग लेकर स्वर्ण पदक जीतकर बाबा का सपना तो साकार कर दिया, लेकिन इस सफलता को देखने के लिए बाबा मौजूद नहीं थे, क्योंकि उनका एक साल पहले ही दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था।

Back to top button